Sunday, 26 July 2020

21वी वर्षगांठ पर देश कर रहा करगिल शहीदों को नमन।

नई दिल्ली,


ये दिल मांगे मोर, शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा..।


करगिल-  भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में करीब 18000 फुट से ज्यादा ऊंची चोटियों पर बैठे दुश्मनों को मार भगाया था। इस युद्ध में जीत हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने ऑपरेशन बद्र शुरू किया था। लेकिन भारत का ऑपरेशन विजय पाकिस्तान के ऑपरेशन पर भारी पड़ा। इस युद्ध में पाकिस्तान ने ना केवल अपने 700 सैनिक गवा दिए बल्कि ऐसी मनोवैज्ञानिक मार भी खाई। जिससे वहां आज तक उबर नहीं पाया। कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच 22 मई से जुलाई 1999 के बीच लदाख में कारगिल की चोटियों पर लड़ा गया था। इस युध्य के जरिए पाकिस्तान कश्मीर और लद्दाख को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क को अपने कब्जे में लेना चाहता था। साथ ही सियाचिन ग्लेशियर से भी भारतीय सेना को भी हटा देना उसका मकसद था। इसके लिए जनरल परवेज मुशर्रफ के नेतृत्व में पाकिस्तानी सैनिको ने साजिश रची और ऑपरेशन बंद शुरू कर के करीब 5 हजार सैनिकों को मुजाहिद्दीन के भेष में कारगिल भेज दिया। ऑपरेशन करीब 60 दिनों तक चला यह पाकिस्तान सैनिक धीरे-धीरे कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा जमाकर बैठ गए ।पाकिस्तानी सैनिक अपने साथ भारी मात्रा में हथियार और खाने-पीने का सामान भी ले कर आए थे। वह लंबे युद्ध के लिए पूरी तैयारी करके आए थे ।भारतीय सेना को पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए उसके खिलाफ भारत सरकार ने पाकिस्तान से युद्ध लड़ने के लिए दो लाख सैनिकों को कारगिल की और रवाना किया। यहां तक 26 जुलाई को उसका अंत हुआ। युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी है, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप से इस युद्ध में शामिल थी। लगभग 3,000 भारतीय सैनिकों और करीबी 5000 घुसपैठिए इस युद्ध में प्रत्यक्ष रुप से आमने-सामने हुए। भारतीय सेना और वायु सेना के संयुक्त ऑपरेशन में कारगिल की चोटियों पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानियों पर धावा बोल दिया। भारत को अंतरराष्ट्रीय जगत में धीरे-धीरे बढ़ रहे ने पाकिस्तान को कारगिल की ऊंची चोटी से पीछे भागने के लिए मजबूर कर दिया। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यहां सशस्त्र संघर्ष था। जिससे भारत ने अपने नाम किया इससे प्रेरणा लेकर एलओसी कारगिल में फिल्मी भी बनी। भारतीय वायुसेना ने युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल भी किया, इन विमानों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा जमाए बैठे दुश्मन पर अचूक बम गिराए जिससे उन में भगदड़ मच गई विग -29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर R77  मिसाइल से हमला किया गया। इस युद्ध में बड़ी संख्या में राकेट और बमों का इस्तेमाल भी किया था। इस युद्ध में राकेट फोर्स पाकिस्तान पर जमकर कहर ढाया इन तोपों की मदद से करीब 250000 गोले दागे गए वहीं 5,000 बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोटार्स से तो और राकेट का इस्तेमाल किया गया युद्ध के 17 दिनों में हर हर रोज प्रति मिनट में एक राउंड फायर किया गया। कारगिल युद्ध में भारत के 527 वीर योद्धाओं को खोया। हुआ ही 1300 से अधिक ज्यादा गंभीर रूप से घायल हुए पाकिस्तान के अधिकृत रूप से और 240 रिकॉर्ड के अनुसार 2900से ज्यादा सैनिक मारे गए थे । हालांकि वह कभी भी इस तथ्य को स्वीकार नहीं करता इस युद्ध के बाद जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा जमा लिया था। घटनाक्रम 3 मई 1999 एक चरवाहा ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तान सेना घुसपैठ कर कब्जा जमा लेने की सूचना दी थी। 5 मई भारतीय सेना को की पेट्रोलिंग टीम जानकारी लेने कारगिल पहुंची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया । उनमें से पांच की हत्या कर दी 9 मई पाकिस्तानियों की गोलाबारी से भारतीय सेना का कार्यक्रम में मौजूद गोला बारूद का स्टरो खत्म हो गया। 10 मई पहली बार लदाख का प्रवेश द्वार द्रास काकसार  और मुसको सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया। 26 मई भारतीय वायु सेना को कार्यवाही के लिए आदेश दिया गया। 27 मई कार्रवाई में भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग 27 और मिग 29 का भी इस्तेमाल किया। 26 जुलाई कारगिल युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों पूर्ण निष्कासन की घोषणा की। कारगिल विजय दिवस पर उन तमाम वीर योद्धाओं को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित एवं शत-शत नमन। 



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