Madhya Pradesh News :प्रदेशभर में 108 एंबुलेंस, जननी एक्सप्रेस व दीनदयाल चलित अस्पताल के संचालन के लिए भोपाल में नया कॉल सेंटर बनाया गया है। होशंगाबाद रोड स्थित कैपिटल मॉल में यह सेंटर बनाया गया है। इसका ट्रायल भी शुरू हो गया है। हफ्ते भर में नया कॉल सेंटर शुरू हो जाएगा। अभी रोजाना 35 हजार कॉल अटेंड हो पा रही हैं। नया कॉल सेंटर शुरू होने के बाद 50 हजार कॉल अटेंड हो सकेंगी। हेल्थ हेल्पलाइन 104 का कॉल सेंटर भी यहीं से संचालित होगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अफसरों ने बताया कि मौजूदा कॉल सेंटर में हर दिन 35 हजार कॉल लेने की सर्वर की क्षमता है। दुर्घटनाएं बढ़ने व लोगों में 108 एंबुलेंस के बारे में जानकारी होने की वजह से फोन करने वाले लगातार बढ़ रहे हैं। इस कारण सर्वर (डाटा सेंटर) की क्षमता 50 हजार कॉल रोजाना के लिहाज से की गई है। एनएचएम के अफसरों ने बताया कि नए कॉल सेंटर में आईटी (इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी) की नवीनतम तकनीकों का प्रयोग किया गया है।
इस पर करीब 9 करोड़ रुपए एनएचएम की तरफ से खर्च किए गए हैं। डाटा सेंटर की क्षमता बढ़ने से डाटा बैकअप भी ज्यादा दिनों तक रखा जा सकेगा। इसके अलावा अभी 240 लाइन (चैनल) हैं, इन्हें बढ़ाकर 360 किया गया है। यानी एक साथ 360 कॉल आ सकती हैं। 108 एंबुलेंस के लिए एक फोन आने पर 3 या 4 लाइन व्यस्त हो जाती हैं।
एक साथ बैठ सकेंगे 150 कॉल अटेंडर
नए कॉल सेंटर में काल रिसीव करने के लिए 150 अटेंडेंट एक साथ बैठ सकेंगे। मौजूदा कॉल सेंटर कमला नेहरू अस्पताल में है। अभी अधिकतम क्षमता 90 सीट की है। एनएचएम के अफसरों ने बताया कि 24 घंटे में आने वाले 35 हजार कॉल में आधे से ज्यादा सुबह 11 से शाम 4 बजे के बीच आते हैं। कॉल अटेंडेंट कम होने की वजह वेटिंग रहती है। इसके चलते क्षमता बढ़ाई गई है। इनमें जीपीएस के जरिए एंबुलेंस की निगरानी करने वाले 20 कर्मचारियों की टीम भी शामिल रहेगी। इससे एंबुलेंस पहुंचने में देरी नहीं होगी।
सिर्फ किराए पर खर्च हो चुके हैं 39 लाख रुपए
नए कॉल सेंटर के लिए मई 2018 में कैपिटल मॉल में जगह किराए पर ली गई थी। इसका हर महीने ढाई लाख रुपए किराया है। सीपीडब्ल्यूडी ने पिछले साल फरवरी में सिविल कार्य पूरा कर दिया था। तब से करीब सालभर हो गए हैं, अब ट्रायल शुरू हो पाया है। एनएचएम ने पहले पिछले साल मई फिर अगस्त और इसके बाद दिसंबर की समय सीमा तय की थी, पर नए उपकरण लगाने के चलते कॉल सेंटर शुरू करने में देरी हुई। एनएचएम के अफसरों ने बताया कि पहले योजना थी कि मौजूदा कॉल सेंटर के कंप्यूटर व अन्य उपकरण ही नए कॉल सेंटर में शिफ्ट किए जाएंगे, लेकिन 108 एंबुलेंस का संचालन करने वाली कंपनी ने कहा था शिफ्टिंग के लिए कॉल सेंटर बंद करना पड़ेगा। लिहाजा करीब 6 करोड़ रुपए से नए उपकरण खरीदने पड़े।
रोजाना बिना उठे रह जाती हैं तीन हजार कॉल
108 के मौजूदा कॉल सेंटर में हर दिन करीब 35 हजार कॉल आती हैं। इनमें करीब 3 हजार कॉल बिना उठे ही कट जाती हैं। इसकी बड़ी वजह लाइन व कॉल अटेंडर की क्षमता कम होना है। इनमें करीब 7 हजार कॉल हर दिन डिस्पैच होती हैं। यानी इतने जरूरतमंदों को एंबुलेंस या जननी एक्सप्रेस मिलती हैं। बाकी कॉल में करीब 17 हजार ऐसी होती हैं, जिनका इस सेवा से लेना-देना नहीं होता। इनमें कुछ कॉल तो दूसरे विभागों से जुड़े हुए होते हैं तो कुछ फालतू होते हैं।
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