यूटिलिटी डेस्क. राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखते हुए आम आदमी और कॉरपोरेट जगत को कैसे राहत पहुंचाई जाए, यह बजट की मुख्य चुनौती होगी। ऑटो सेक्टर और टेलीकॉम सेक्टर भी बजट से आस लगाए हुए हैं। वतर्मान में शेयर में निवेश को एक साल से ज्यादा होल्ड करने के बाद बेचने से हुए मुनाफे पर 10% एलटीसीजी लगता है। इसकी अवधि बढ़ाकर दो साल करनी चाहिए या इस टैक्स रेट में कटौती करनी चाहिए।
सरकार धारा 80सी के तहत आयकर छूट 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर सकती है या फिर आयकर की न्यूनतम स्लैब बढ़ाई जा सकती है। 2013 में पहली बार कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स लगाया था। इससे निवेशक कमोडिटी ट्रेडिंग से दूर हुए हैं। यह टैक्स हटता है तो कमोडिटी में ट्रेडिंग फिर बढ़ेगी। सरकार सड़कों-इमारतों के निमार्ण में ग्रीन पिछले बजट में घोषित भारतमाला परियोजना के लिए भी अधिक निवेश की उम्मीद है। इस योजना के पहले चरण का काम 2022 तक पूरा होने का अनुमान है।राजकोषीय घाटे और महंगाई पर कंट्रोल हो
अर्थव्यवस्था के इन दो महत्वपूर्ण संकेतको को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार बड़े कदम उठा सकती है। इसमें सरकारी उपक्रमों का निजीकरण शामिल है। सरकार की कोशिश होगी कि राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.8% तक सीमित रखे।
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