Tuesday, 1 October 2024

गुरु शरण में जाकर ही जीवन सार्थक किया जा सकता है--मुनि श्री विनंद सागर महाराज

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आष्टा।"अवतरण दिवस पर अरिहंत पुरम अलीपुर श्री चंद्र प्रभ मंदिर में आशीष वचन देते हुए मुनि श्री विनंद सागर जी महाराज ने कहा कि जन्मदिवस तभी सफल होता है जब हम अपना जीवन गुरु को समर्पित करते हैं। मनुष्य जन्म में लेने के बाद यदि हम राग द्वेष कषाय आदि करते रहें तो यह जीवन निष्प्रयोजन हो जाता है। हम जीवन को सार्थक करने के लिए क्या कर रहे हैं या चिंतन करना चाहिए ।जितना जीवन हमने संयम से जिया है बस वही जीवन का सार्थक समय है अपने जीवन को उन्नत बनाने के लिए गुरु को  समर्पण भाव स्वयं  को  संपूर्ण  रूप से सौंप देना ही एक उपाय है ।यह भक्ति ,यह समर्पण केवल उन गुणों की आराधना है जो हम प्राप्त करना चाहते हैं ।जीवन में माता-पिता अमूल्य योगदान होता है, गर्भ के संस्कार ही निर्णय कर देते हैं कि हमारा जीवन कैसा होगा। माता जिस तरह के भाव अपने गर्भ में नौ माह में रखती है वैसे ही संस्कार उसके पुत्र में आ जाते हैं। अतः माता को बच्चे की प्रथम पाठशाला कहा गया है। दूसरा जन्म गुरु देते हैं जो हमें गढ़ते हैं, जिस प्रकार छैनी और हथौड़ी से पत्थर को प्रतिमा रूप देकर उसे पूज्य बना दिया जाता है ,उसी प्रकार गुरु हमारे जीवन को उस मुक्ति पथ की धारा में व्यवस्थित कर देते हैं। जिस प्रकार कुंभकार मिट्टी को घड़ा बनाकर उस मिट्टी को मूल्यवान बना देता है ,उसी प्रकार गुरु संगति ही हमें जीवन में संस्कारों का अनमोल रत्न प्रदान करती है ।इस संसार में कोई भी हमारा सगा नहीं है, कहां है  थमते ही इन सांसों का संसार बदल जाएगा । अपने परिजन बदलेंगे घर द्वार बदल जाएगा।

त्रिदिवसीय गुणानुवृद्धि महामहोत्सव का आज समापन 

त्रिदिवसीय गुणानुवृद्धि महामहोत्सव 29 सितंबर से प्रारंभ हुआ। पहले दिन रविवार को मुनिश्री विनंद सागर महाराज का 31 वां अवतरण दिवस उत्साह पूर्वक मनाया गया। सोमवार 30 सितंबर को अभिषेक, शांति धारा के साथ ही शाम को श्री भक्तांबर पाठ का आयोजन किया गया । वहीं मंगलवार 1 अक्टूबर को आचार्य विनम्र सागर महाराज का 62 वां अवतरण दिवस और मुनिश्री विनंद सागर महाराज का आठवां दीक्षा दिवस पर सुबह 6 बजे अभिषेक,शांति धारा,7 बजे 51 मंडलीय श्री भक्तांबर महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ,9 बजे गुरु उपकार दिवस पर मुनिश्री के मंगल प्रवचन,10 बजे आहारचर्या, साढ़े ग्यारह बजे श्रीजी की भव्यातिभव्य शोभायात्रा, दोपहर 2 बजे आचार्यश्री की पूजन एवं दीक्षा दिवस समारोह,शाम 7 बजे 151 दीपों से 51 परिवार द्वारा महाआरती व सांस्कृतिक कार्यक्रम मुनिश्री की गौरव गाथा होगी।

भक्तांबर  महाकाव्य का 48 वे छंद की आराधना श्रीमती आभा ,आश्रय , खुशी, रिंकू  ,बबिता जैन समस्त परिवार एवं विशेष छंदों की आराधना   सोमश्री ,महेंद्र जैन अनिता  जैन निर्मल अर्पिता  जैन लक्ष्पति परिवार द्वारा की गई ।श्रेष्ठी परिवारों ने शास्त्र भेंट कर मुनिश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।48 वे छंद का भावार्थ बताते हुए मुनिश्री ने कहा की यह मोक्ष लक्ष्मी प्रदायक छंद का फल है जिसको जो चाहिए वह उसके पीछे पड़ता है गृह लक्ष्मी, धन लक्ष्मी इनके पीछे पड़ना सब संसार में भटकने के कारण है। हम जिसको चाहते हैं उसकी ओर दौड़ते हैं। हमे परमतत्व को प्राप्त करना है। सुख के लिए दुख सहन करना बहुत सरल है, किंतु शांति के लिए सुख छोड़ देना  बहुत कठिन है। शांति हमारे अंदर ही है उसको पाने के लिए परिग्रह ,घर परिवार सब छोड़ना पड़ेगा। हम परिवार को पालने के लिए दौड़ धूप करते हैं, मेहनत करते हैं लेकिन शांति के लिए शांत बैठना स्वीकार नहीं होता ।जैसी भक्ति आचार्य गुरुवर मानतुंगाचार्य ने की है वैसी भक्ति हमें करना चाहिए ।गुण के प्रति अनुराग ही भक्ति है ।हम भगवान के गुण को पाने का प्रयास करते हैं वही भक्ति है। संगीत पर नृत्य भक्ति नहीं बिना संगीत के हम अपने भाव प्रकट करते हैं और हमें भगवान ही दिखाई देते हैं वास्तव में वही भक्ति है।मुनि श्री के अवतरण दिवस पर अर्पिता प्रमोद जैन, धर्मेंद्र जैन अमलाह,सोनिका अमित जैन, राहुल जैन, प्रिया मोहित जैन के साथ अजय जैन अंगोत्री ने काव्य पाठ के माध्यम से अपनी भावनाएं  विन्यांजलि  के रूप में प्रेषित की | 48 दिवसीय भक्तांबर महामंडल विधान का प्रतिनिधित्व करने के लिए सौधर्म इंद्र का सौभाग्य श्री वीरेंद्र जैन सदासुखी परिवार को प्राप्त हुआ।

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